फेफड़े खराब होना (Respiratory Failure)
परिचय
रेस्पिरेटरी फेलियर को हिंदी में ‘श्वासरोध’ कहा जाता है। यह फेफड़ों की एक बीमारी है। यह बीमारी तब होती है जब फेफड़ों के अंदर मौजूद हवा की छोटी-छोटी थैलियों में द्रव भर जाता है। ऐसा होने पर आपके फेफड़े खून में ऑक्सीजन नहीं छोड़ पाते हैं। इसके परिणामस्वरूप शरीर के अंगों को सही से काम करने के लिए जरुरी ऑक्सीजन युक्त खून नहीं मिल पाता। फेफड़ों की यह बीमारी तब भी हो सकती है जब फेफड़े आपके खून से कार्बन डाइऑक्साइड गैस सही से निकाल नहीं पाते। खून में कार्बन डाइऑक्साइड गैस की अधिक मात्रा आपके शरीर के अंदरुनी अंगों के लिए हानिकारक हो सकती है।
रेस्पिरेटरी फेलियर या फेफड़े की ये खराबी टाइप 1 और टाइप 2 दो भागों में विभाजित की जाती है, जो खून में कार्बन डाइऑक्साइड गैस की मात्रा पर आधारित हैं। रेस्पिरेटरी फेलियर के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कोई बाहरी वस्तु श्वसन मार्गों में फंस जाना, हार्ट फेलियर, संक्रमण या पल्मोनरी एडिमा आदि। रेस्पिरेटरी फेलियर होने पर सांस फूलना, हृदय की धड़कन तेज होना, उलझन महसूस होना, नींद आना और उंगलियों के सिरे या कान की निचली त्वचा नीली पड़ना जैसे लक्षण पैदा हो सकते हैं। फेफड़ों की इस खराबी का परीक्षण करने के लिए आपके लक्षणों की जांच की जाती है, इस दौरान आमतौर पर छाती का एक्स रे, पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट, ब्रोंकोस्कोपी और ईसीजी जैसे टेस्ट किए जाते हैं। फेफड़ों की इस बीमारी का इलाज इस बात पर निर्भर करता है, कि यह तीव्र अचानक हुई है या लंबे समय चल रही है तथा यह कितनी गंभीर है। इसके अलावा इलाज फेफड़ों में खराबी के अंदरुनी कारणों पर भी निर्भर करता है। इलाज के दौरान आपको ऑक्सीजन थेरेपी दी जाती है, जिससे सांस लेने में मदद मिलती है।
फेफड़े खराब होना क्या है – What is Respiratory Failure
रेस्पिरेटरी फेलियर एक ऐसी स्थिति है, जिसमें खून में मौजूद ऑक्सीजन का स्तर अत्यधिक कम हो जाता है या फिर खून में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर अत्यधिक बढ़ जाता है।
फेफड़े खराब होने के प्रकार – Types of Respiratory Failure
रेस्पिरेटरी फेलियर या फेफड़े खराब होना एक आम स्थिति है, जो फेफड़ों संबंधी गंभीर रोगों में हो जाती है। कई बार शरीर के कई अंदरुनी अंग काम करना बंद कर देते हैं, इस स्थिति को मल्टी ऑर्गन फेलियर (Multi-organ failure) भी कहा जाता है। इसके मुख्य दो प्रकार होते हैं, जैसे:
टाइप 1: इसमें खून में ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है लेकिन कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर सामान्य या कम रहता है।
टाइप 2: इसमें खून में ऑक्सीजन का स्तर तो कम होता ही है साथ ही कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बहुत बढ़ जाता है।
फेफड़े खराब होने के लक्षण – Respiratory Failure Symptoms
फेफड़े खराब होने के लक्षण या तो इसके कारण पर निर्भर करते हैं या फिर आपके खून में ऑक्सीजन कम हो गया है, कार्बन डाइऑक्साइड बढ़ गया है या फिर दोनो स्थितियां होने पर इसके लक्षण विकसित होते हैं। फेफड़े खराब होने के कुछ लक्षण व संकेत निम्नलिखित हैं:
सांस ना ले पाना होश ना रहना
तेजी से गहरी सांस लेना उलझन महसूस होना
चिंता महसूस होना अधिक नींद आना
दिल अनियमित रूप से धड़कना तेजी से सांस लेना या बहुत धीरे-धीरे सांस लेना
सांस फूलना अधिक नींद आना या बेहोश हो जाना
दिल तेजी से धड़कना अत्यधिक पसीना आना
ऐसा महसूस होना जैसे आप पूरी सांस (हवा) नहीं ले पा रहे हैं
उंगलियों के सिरे, होठों या त्वचा का हिस्सा नीला पड़ जाना
डॉक्टर को कब दिखाएं?
रेस्पिरेटरी फेलियर एक आपातकालीन (इमर्जेंसी) स्थिति है, जिसमें बिना जरा सी भी देरी किए डॉक्टर के पास चले जाना चाहिए। यदि आपको सांस लेने में किसी प्रकार की परेशानी हो रही है या दिल की धड़कन में किसी प्रकार का बदलाव महसूस हो रहा है, तो जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
फेफड़े खराब होने के कारण व जोखिम कारक
Respiratory Failure Causes & Risk Factors
श्वसन प्रणाली से संबंधित किसी भी भाग में किसी प्रकार की समस्या होने के कारण फेफड़ों में खराबी हो सकती है। रेस्पिरेटरी फेलियर के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:
मांसपेशियों या नसों में क्षति के कारण भी फेफड़े खराब हो सकते हैं, जैसे रीढ़ की हड्डी में चोट लगना या स्ट्रोक होना आदि।
अचानक से होने वाली कोई स्थिति जैसे एआरडीएस (Acute Respiratory Distress Syndrome), जो सांस लेने की क्षमता को प्रभावित करती है।
छाती या पसलियों में चोट लगने के कारण भी फेफड़े क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।
फेफड़ों संबंधी रोग जैसे फेफड़ों में खून का थक्का बनना, सीओपीडी (Chronic obstructive pulmonary disease), सिस्टिक फाइब्रोसिस और निमोनिया आदि।
फेफड़ों या सांस लेने की क्षमता को लंबे समय से प्रभावित करने वाली किसी समस्या के कारण भी अचानक से फेफड़े काम करना बंद कर सकते हैं, जैसे गंभीर अस्थमा या क्रोनिक ऑबस्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिसऑर्डर आदि।
धुएं में सांस लेने या धुआं शरीर के अंदर चले जाने से होने वाली क्षति।
अधिक मात्रा में शराब या अन्य नशीली दवाएं लेने से दिमाग को क्षति पहुंचती है और सांस लेने की सामान्य प्रक्रिया प्रभावित होने लग जाती है।
मस्तिष्क, छाती या फेफड़ों में चोट लगने से आमतौर पर फेफड़ों में एकदम से खराबी (Acute respiratory failure) आ जाती है। कुछ स्थितियां जैसे गले में कुछ फंसना, पानी में डूबना या छाती में किसी चीज से जोरदार लगने के कारण फेफड़े खराब हो सकते हैं।
स्कोलिओसिस (रीढ़ की हड्डी एक तरफ टेढ़ी होना) या रीढ़ की हड्डी से संबंधित अन्य समस्याएं जो हड्डियों व मांसपेशियों को प्रभावित करती हैं। ये समस्याएं सांस लेने की क्षमता को भी बिगाड़ सकती हैं।
फेफड़े खराब होने का खतरा कब बढ़ता है?
निम्नलिखित कुछ अन्य स्थितियां जो रेस्पिरेटरी फेलियर की स्थिति को बढ़ा देती है:
अत्यधिक मात्रा में शराब पीना प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होना
पोलियो सिस्टिक फाइब्रोसिस
घेंघा (गलगंड) मोटापा
निमोनिया गर्दन के आस-पास या सीने में जलन होना
पहले कभी रेडिएशन थेरेपी से इलाज करवाया होना
सिगरेट पीना या तंबाकू के अन्य पदार्थों का सेवन करना
फेफड़े खराब होने के बचाव
Prevention of Respiratory Failure
निम्नलिखित कुछ बातों का ध्यान रखकर रेस्पिरेटरी फेलियर से बचाव किया जा सकता है:
जिन मरीजों के फेफड़े खराब होने का खतरा अधिक है, जैसे सीओपीडी या अस्थमा के मरीज उनको इन्फ्लूएंजा व न्यूमोकॉकल का टीका लगाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इन टीकों की मदद से कुछ समूह के लोगों में फेफड़े खराब होने से बचाये जा सकते हैं।
सभी लोगों को इन्फ्लुएंजा का टीका लगाना, खासकर के वृद्ध व्यक्तियों को क्योंकि इस टीके की मदद से निमोनिया आदि होने से बचाव जा सकता है।
इसकी रोकथाम करने के लिए फेफड़ों को क्षति पहुंचाने वाले रोगों व चोटों आदि के बारे में जानना और इसका कारण बनने वाली अंदरुनी बीमारी या चोट का इलाज करना जरूरी होता है।
फेफड़ों के मरीजों का धूम्रपान पूरी तरह से बंद करवा देने से फेफड़ों संबंधी समस्याएं और अधिक बढ़ने से रोकी जा सकती है।
जिन मरीजों को फेफड़ों संबंधी कोई आम समस्या (जैसे अस्थमा) है, उनकी जांच व इलाज को नियमित रूप से करवाते रहने से फेफड़े खराब होने का खतरा कम हो जाता है।
फेफड़े खराब होने का परीक्षण
Diagnosis of Respiratory Failure
पल्स ऑक्सिमेट्री एक साधारण और दर्दरहित टेस्ट होता है, जिसकी मदद से यह पता लगाया जाता है कि शरीर के अन्य हिस्सों में ऑक्सीजन कितने अच्छे से पहुंच रही है। इस टेस्ट के दौरान डॉक्टर आपकी उंगली के सिरे पर या कान के निचले हिस्से पर एक छोटा सा उपकरण लगाते हैं। यह उपकरण बता देता है कि शरीर के इस हिस्से को पर्याप्त मात्रा मे ऑक्सीजन मिल रही है या नहीं।
धमनी से खून का सेंपल लेकर भी एक टेस्ट किया जाता है, यदि इस टेस्ट में खून में ऑक्सीजन की मात्रा बहुत कम है या कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बहुत अधिक है, तो ये फेफड़े खराब होने का संकेत हो सकता है।
डॉक्टर आपके लक्षणों व शारीरिक परीक्षण की मदद से फेफड़े खराब होने की स्थिति का पता लगा लेते हैं। परीक्षण के दौरान डॉक्टर स्टीथोस्कोप को आपकी छाती पर लगाकर सांसों की आवाज व छाती से आने वाली आवाज सुनते हैं।
डॉक्टर आपसे आपके स्वास्थ्य से जुड़ी पिछली जानकारी लेते हैं, इस दौरान डॉक्टर पूछते हैं कि कहीं पहले आपको कोई फेफड़ों संबंधी या अन्य स्वास्थ्य संबंधी रोग तो नही हुआ है।
कुछ अन्य टेस्ट जिनकी मदद से रेस्पिरेटरी फेलियर की स्थिति का परीक्षण किया जाता है:
ब्रोंकोस्कोपी, इस टेस्ट के दौरान एक पतली व लचीली ट्यूब जिसे ब्रोंकोस्कोप कहा जाता है। उसे श्वसन मार्गों के अंदर डालकर फेफड़ों तक पहुंचाया जाता है। डॉक्टर फेफड़ों के मार्गों को अच्छे से देखने के लिए यह टेस्ट कर सकते हैं। इसके अलावा इस उपकरण के साथ फेफड़ों के अंदर से ऊतक का सेंपल भी निकाला जा सकता है।
ईसीजी (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम)
पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट
सीबीसी (कम्पलीट ब्लड काउंट)
छाती का एक्स रे
फेफड़े खराब होने की जटिलताएं
Respiratory Failure Risks & Complications
फेफड़े अचानक से खराब होने वाली स्थिति का कोई इलाज नहीं है, लेकिन इससे होने वाले लक्षणों को नियंत्रित या कम किया जा सकता है। यदि आपको फेफड़ों से संबंधी कोई दीर्घकालिक बीमारी है जैसे सीओपीडी या वातस्फीति आदि तो आपको सांस लेने में मदद करने वाले उपकरणों की आवश्यकता लगातार पड़ती रहती है। फेफड़े खराब होने के सटीक कारण, आपका शारीरिक स्वास्थ्य और कितना जल्दी आपका इलाज शुरु किया जा रहा है आदि के आधार पर ही आपकी देखभाल व इलाज शुरु किया जाता है।
फेफड़े खराब होने से निम्नलिखित कुछ जटिलताएं हो सकती हैं:
न्यूरोलॉजिकल समस्याएं होना, खून में लंबे समय से ऑक्सीजन कम होने से मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, जिसकी फिर से पूर्ति नहीं की जा सकती है और इससे कोमा व मिर्गी जैसी समस्याएं होने लग जाती हैं। यहां तक कि कुछ मामलों में मस्तिष्क काम करना बंद कर देता है।
फेफड़ों में स्कार ऊतक बनना, जिनको फिर से सामान्य नहीं किया जा सकता है। (पल्मोनरी फाइब्रोसिस)
हृदय संबंधी जटिलताएं जैसे हार्ट फेलियर, हृदय के आसपास द्रव जमा होना (पेरिकार्डिटिस) और एक्युट हार्ट अटैक आदि।
फेफड़ों में खून का थक्का (पल्मोनरी एंबोलिज्म) बन सकता है।
खून में ऑक्सीजन का स्तर कम होने पर खून में लाल रक्त कोशिकाओं का स्तर बढ़ जाता है। लेकिन रक्त वाहिकाओं में खून का बहाव कम होने के कारण खून के थक्के बन सकते हैं।