पेट में मरोड़ (ऐंठन)
मांसपेशियों में अनैच्छिक रूप से व अचानक होने वाले संकुचन को मांसपेशियों में ऐंठन या मरोड़ (Muscle cramp) कहा जाता है। ऐंठन एक प्रकार का दर्द होता है जो बार-बार आता व जाता रहता है और इसकी जगह व गंभीरता में भी बदलाव आ सकता है। पेट में मरोड़ या ऐंठन शब्द का इस्तेमाल पेट में मरोड़ की स्थिति एवं अन्य कई प्रकार की पेट की सनसनी और लक्षणों के लिए किया जाता है। लोग पेट के किसी भी हिस्से में हो रहे दर्द को बताने के लिए ‘पेट में दर्द’ या ‘पेट में ऐंठन’ शब्द का इस्तेमाल करते हैं।
पेट में मरोड़ एक ऐसा दर्द होता है, जो छाती और पेल्विक के बीच के हिस्से में महसूस होता है। इसमें दर्द मध्यम, तीव्र या बार-बार आने और जाने वाला हो सकता है। इसको अक्सर पेट दर्द के नाम से ही जाना जाता है। इसके ज्यादातर लक्षण चिंताजनक नहीं होते और इस समस्या का आसानी से पता लग जाता है और इसका इलाज हो जाता है। लेकिन, कभी-कभी यह किसी गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकता है। पेट में मरोड़ होने का कारण अपच, कब्ज, पेट के वायरस या यदि आप एक महिला हैं तो मासिक धर्म आदि हो सकते हैं। पेट में दर्द या ऐंठन आदि का इलाज समस्या के कारण के आधार पर किया जाता है।
पेट में मरोड़ (ऐंठन) के लक्षण – Abdominal Cramps Symptoms
पेट में मरोड़ (ऐंठन) के क्या लक्षण हो सकते हैं?
जब पेट में ऐंठन या मरोड़ आती है तो दर्द इसका मुख्या लक्षण होता है। या दर्द काफी अलग-अलग तरह से हो सकता है, जैसे –
तीव्र, मध्यम, चुभन, ऐंठन जैसा, मरोड़ जैसा या अन्य प्रकार का हो सकता है।
दर्द स्पष्ट हो सकता है, बार-बार आना-जाना या लगातार बना रह सकता है।
उल्टी का कारण बन सकता है
दर्द के दौरान आप स्थिर रहना पसंद कर सकते हैं या सही पॉजिशन और राहत ढूंढने के लिए इधर-उधर हिल-डुल सकते हैं।
किसी छोटी सी समस्या से भिन्न होना जिसके लिए सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है।
डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
अगर आपको निम्न समस्याएं महसूस हो रही हैं, तो आपको डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए:
पेट फूलना या पेट दर्द जो जा नहीं रहा हो या बार-बार वापस आ रहा हो।
बिना घटाए वजन अपने आप घटना
अचानक और बार-बार पेशाब आना या सामान्य से कम बार आना
पेशाब करते समय अचानक से दर्द होना
योनि से खून या कोई असामान्य द्रव आना
कुछ दिन तक दस्त ठीक ना हो पाना
दर्द गंभीर और बद्तर हो जाना
निगलने में कठिनाई होना
मल के साथ खून आना
लगातार उल्टी आना
बुखार
त्वचा में पीलापन आना
पेट को छूने से दर्द महसूस होना
पेट में सूजन आना
पेट में मरोड़ (ऐंठन) के कारण – Abdominal Cramps Causes
पेट में दर्द एक सामान्य समस्या है जो कई प्रकार के कारकों के कारण हो सकती है या और जटिल रूप धारण कर सकती है।
सामान्य कारण जिनमें शामिल हैं:
गैस्ट्रोएंटराइटिस (पेट का फ्लू) –
इस स्थिति में मतली और उल्टी के साथ सामान्य पेट दर्द जुड़ा होता है और द्रव युक्त मल आता है। मल इसमें सामान्य से अधिक बार आता है और अक्सर खाना खाने के बाद ही आता है।
बैक्टीरिया और वायरस ही इसमें ज्यादातर मामलों के कारण होते हैं और इनसे होने वाले लक्षण आमतौर पर कुछ ही दिनों में ठीक हो जाते हैं। जो लक्षण 2 दिन से अधिक समय तक बने रहते हैं वे एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकते हैं। जैसे संक्रमण या अन्य सूजन व जलन संबंधी स्थितियां
गैस – गैस तब होती है जब छोटी आंत के बैक्टीरिया उन खाद्य पदार्थों को तोड़ते (विघटित करते) हैं, जिन्हें शरीर पचा नहीं पाता। आंत में गैस का दबाव बढ़ने से तीव्र दर्द पैदा हो सकता है। गैस के कारण पेट में खिचाव या रुकावट हो सकती है और इसके कारण पेट में फुलाव व डकार (Belching) आदि की समस्याएं भी हो सकती है।
इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) – जो लोग आईबीएस से ग्रस्त होते हैं वे कुछ प्रकार के खाद्य पदार्थों को पचाने में सक्षम नहीं होते हैं।
इस समस्या से ग्रस्त ज्यादातर लोगों को पेट में दर्द इसके मुख्य लक्षण के रूप में होता है और यह आमतौर पर मल त्याग करने के बाद ठीक हो जाता है। इसके अन्य सामान्य लक्षणों में गैस, मतली और पेट में फुलाव आदि शामिल है।
एसिड रिफ्लक्स – कभी-कभी पेट के एसिड पीछे की तरफ चले जाते हैं और गले तक पहुंच जाते हैं। रिफ्लक्स की समस्या हमेशा जलन और उसके साथ दर्द पैदा करता है। रिफ्लक्स पेट संबंधी अन्य लक्षण भी दिखा सकता है जैसे पेट में फुलाव या मरोड़।
उल्टी – जैसे एसिड पीछे जाकर पाचन तंत्र में चला जाता है और रास्ते में आने वाले सभी ऊतकों में जलन व दर्द पैदा कर देता है ठीक उसी तरह से उल्टी भी पेट में मरोड़ व दर्द पैदा करने का कारण बनती है। उल्टी भी पेट की मांसपेशियों में दर्द व जलन पैदा करती है।
गैस्ट्राइटिस – जब पेट की परत में सूजन, जलन व लालिमा आ जाती है तो पेट में मरोड़ व दर्द की समस्या होने लगती है।
कब्ज – जब आंतों में मल जमा हो जाता है तो कॉलन (बृहदान्त्र) में दबाव बढ़ जाता है, जिससे पेट में दर्द होने लगता है।
गैस्ट्रोइसोफेजियल रिफ्लक्स डीजीज (GERD) – गर्ड (GERD) के कारण पेट में दर्द हो सकता है और साथ ही साथ छाती में जलन और मतली भी हो सकती है।
पेट या पेप्टिक अल्सर – अल्सर या घाव जो ठीक नहीं हो पाते वे पेट में गंभीर और अस्थिर दर्द पैदा कर सकते हैं। पेट या पेप्टिक में अल्सर का सबसे सामान्य कारण बैक्टीरियल संक्रमण होता है। नॉन स्टेरॉयडल एंटी इंफ्लेमेटरी दवाओं (NSAIDS) का अधिक या लगातार उपयोग करना भी पेप्टिक अल्सर का एक सामान्य कारण माना जाता है।
क्रोहन रोग – क्रोहन रोग पाचन तंत्र की परतों में सूजन व जलन पैदा करता है, जिससे पेट में गैस व दर्द, दस्त, मतली, उल्टी और पेट में फुलाव होने लगता है। लंबे समय तक रहने से यह कुपोषण पैदा कर देती है, जिससे वजन घटना और थकावट जैसी समस्याएं होने लगती हैं।
सीलिएक रोग – इसमें ग्लूटेन से एलर्जी होने लगती है। ग्लूटेन एक प्रकार का प्रोटीन होता है जो कई प्रकार के अनाजों में पाया जाता है जैसे गेहूं और जौ आदि। ग्लूटेन से एलर्जी होने पर छोटी आंत में सूजन व जलन होने लगती है जिससे दर्द पैदा हो जाता है।
दस्त और पेट में फुलाव भी इसके सामान्य लक्षणों में से एक हैं। समय के साथ-साथ कुपोषण भी हो सकता है जिससे वजन घटना और थकावट जैसी समस्याएं होने लगती हैं।
मांसपेशियों में खिंचाव व तनाव – रोजाना की गतिविधियों को पूरा करने के लिए पेट की मांसपेशियों का इस्तेमाल करने की आवश्यकता होती है, जिससे मांसपेशियों में चोट या खिंचाव आदि आम समस्या है। कई लोग पेट की एक्सरसाइज पर अधिक फोकस करते हैं, जिससे पेट की मांसपेशियों में क्षति होने के जोखिम बढ़ जाते हैं।
मासिक धर्म के दौरान ऐंठन या एंडोमेट्रीओसिस (Endometriosis) – मासिक धर्म के कारण भी पेट में दर्द, जलन व सूजन या पेट में मरोड़ हो सकती है। मासिक धर्म के दौरान पेट में फुलाव, गैस, ऐंठन और कब्ज जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। ये सभी समस्याएं पेट में तकलीफें पैदा करती हैं।
मूत्र पथ में संक्रमण या मूत्राशय में संक्रमण – यह संक्रमण अक्सर उस बैक्टीरिया द्वारा फैलाया जाता है, जो मूत्रमार्ग और मूत्राशय में पैदा होते हैं, जिससे सिस्टाइटिस या ब्लैडर संक्रमण भी हो जाता है।
इसके लक्षणों में दर्द, दबाव और पेट के निचले हिस्से में फुलाव होना शामिल है। ज्यादातर संक्रमणों के कारण पेशाब के दौरान दर्द और गहरे रंग तथा तीव्र गंध का पेशाब आना आदि जैसी समस्याएं होने लगती हैं।
असाधारण कारण – कुछ मामलों में पेट में ऐंठन होना किसी मेडिकल स्थिति का संकेत हो सकती है, जिसकी अगर तुरंत देखभाल ना की जाए तो यह घातक हो सकती है।
पेट में मरोड़ होने के कुछ कारण जो कम सामान्य (Less common) हैं:
अपेंडिसाइटिस (अपेंडिक्स का फूटना) या शरीर के किसी अन्य अंदरूनी अंग का फूट जाना
किडनी में संक्रमण, किडनी रोग या किडनी स्टोन
हेपेटाइटिस (लीवर में सूजन व जलन)
पित्ताशय में पथरी (पित्ताशय में कोई कठोर पदार्थ विकसित होना)
फूड पाइज़निंग
पैरासाइटिक संक्रमण
पेट के अंदरूनी अंगों में संक्रमण या इन्फ्रेक्शन (जब खून की सप्लाई ना हो पाने के कारण शरीर के किसी अंग की मृत्यु (नष्ट) हो जाए, तो उसे इन्फ्रेक्शन कहा जाता है)
हृदय संबंधी स्थितियां, जैसे एटीपिकल एनजाइना आ कंजेस्टिव हार्ट फेलियर
अंदरूनी अंगों में कैंसर, विशेष रूप से पेट में कैंसर, पेन्क्रीएटिक या आंतों के कैंसर
हाइटल हर्निया
सिस्ट्स जो इनवेसिव (आक्रमणशील) बन जाएं या अंदरूनी अंगों की जगह और उनके कार्यों में हस्तक्षेप करने लगे।
पेट में मरोड़ से बचाव के उपाय – Prevention of Abdominal Cramps
पेट में दर्द (ऐंठन) की रोकथाम कैसे करें?
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ट में ऐंठन की मध्यम स्थिति को ठीक करने के लिए आप निम्नलिखित घरेलू तरीके अपना सकते हैं
पानी व अन्य साफ तरल पदार्थ पीएं – आप थोड़ी मात्रा में कुछ सॉफ्ट ड्रिंक ले सकते हैं। डायबिटीज से ग्रस्त लोग अपने ब्लड शुगर को चेक करते रहें और जरूरत के अनुसार दवाएं लेते रहें।
पहले कुछ घंटों के लिए कठोर खाद्य पदार्थों का सेवन ना करें।
यदि आपको उल्टी आ रही है तो 6 घंटे तक इंतजार करें और फिर थोड़ी मात्रा में हल्के खाद्य पदार्थों का सेवन करें, जैसे चावल, सेब की चटनी या हल्के वाले बिस्कुट आदि। डेयरी उत्पादों का सेवन ना करें।
अगर दर्द पेट के उपरी हिस्से में है और खाना खाने के बाद शुरू होता है, तो एंटासिड्स दवाएं मदद कर सकती हैं, खासकर जब आपको छाती में जलन या अपच महसूस हो रही हो। ऐसे में खट्टे फल, उच्च वसा वाले खाद्य पदार्थ, तला हुआ या चिकनाई वाले भोजन, टमाटर के उत्पाद, कैफीन, शराब और कार्बोनेटेड पेय आदि का सेवन करने से बचें।
जब तक आपके डॉक्टर ना लिखे तब तक एस्पिरीन, आईबूप्रोफेन या अन्य एंटी-इन्फ्लेमेट्री दवाएं और अन्य मादक दर्द की गोलियों का उपयोग ना करें। अगर आप जानते हैं कि दर्द आपके लीवर से जुड़ा है, तो आप एसिटामिनोफेन ट्राई कर सकते हैं।
निम्नलिखित अतिरिक्त तरीके कुछ प्रकार की पेट में ऐंठन की रोकथाम कर सकते हैं –
रोजाना खूब मात्रा में पानी पीना
भोजन को थोड़ा-थोड़ा करके कई बार खाना
नियमित रूप से एक्सरसाइज करना
गैस पैदा करने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित मात्रा में करना
यह सुनिश्चित करना की आपका भोजन अच्छी तरह से संतुलित है और फाइबर युक्त है।
खूब मात्रा में फल व सब्जियों का सेवन करना
पेट में मरोड़ का निदान – Diagnosis of Abdominal Cramps
मरीज की जांच करने से डॉक्टरों को दर्द के कारण को ढूंढने के लिए कुछ अतिरिक्त सुराग मिल सकते हैं। डॉक्टर निम्न परीक्षण कर सकते हैं –
आंतो से आने वाली ध्वनि की उपस्थिति की जांच करना, यह ध्वनि तब आती है जब आंतों में रुकावट होती है।
सूजन व जलन के संकेतों की उपस्थिति (परीक्षण के दौरान एक विशेष युक्तिचालन के द्वारा)
टेंडरनेस (छूने पर दर्द होना) की जगह का पता लगाना
अगर परीक्षण और टेस्ट आदि की आवश्यकता पड़ती है, तो इसमें निम्न शामिल हो सकते हैं –
रेक्टल परीक्षण – छिपे हुऐ खून या अन्य समस्याओं को चेक करने के लिए
लिंग व अंडकोषों की जांच – यदि आप एक पुरूष हैं, तो डॉक्टर आपके लिंग या अंडकोषों की जांच कर सकते हैं।
पेल्विक परीक्षण – यदि आप एक महिला हैं तो डॉक्टर आपके गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब और अंडाशय में समस्याओं की जांच के लिए आपका पेल्विक परीक्षण कर सकते हैं।
ब्लड टेस्ट – संक्रमण (जो सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या बढ़ा देता है) की और खून बहने (जो लो ब्लड काउंट या हीमोग्लोबिन का कारण बनता है) की जांच करने के लिए।
अन्य ब्लड टेस्ट – जो लीवर, अग्नाशय और ह्रदय में एंजाइम्स की जांच करते हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इनमें कौन सा अंग शामिल हो सकता है।
यूरिन टेस्ट – मूत्र में संक्रमण या मूत्र में खून आने (अगर किडनी स्टोन है तो मूत्र में खून सकता है) की जांच करने के लिए।
ईसीजी (ECG) – हार्ट अटैक का पता लगाने के लिए।
अल्ट्रासाउंड – पेट का अल्ट्रासाउंड करना
एंडोस्कोपी एक ऐसा परीक्षण होता है जिसमें एक लचीली ट्यूब जिसके सिरे पर लाइट तथा वीडियो कैमरा लगा होता है। इसका इस्तेमाल बिना सर्जरी किए पेट के अंदरूनी अंगों का परीक्षण करने के लिए किया जाता है। अलग-अलग अंगों को देखने के लिए एंडोस्कोपी के अलग-अलग नामों का इस्तेमाल किया जाता है।