दमा (अस्थमा) – (Asthma)
अस्थमा क्या है?
अस्थमा या दमा फेफड़ों के वायुमार्ग की एक इंफ्लेमेटरी बीमारी है। अस्थमा सांस लेना मुश्किल बनाता है और कुछ फिजिकल एक्टिविटीज को मुश्किल या असंभव भी बना सकता है। भारतीय शहरों में अब यह काफी आम समस्या बन चुकी है। अस्थमा को समझने के लिए यह समझना जरूरी है कि जब आप सांस लेते हैं तब क्या होता है। आम तौर पर, आपके द्वारा ली जाने वाली प्रत्येक सांस के साथ हवा आपके नाक या मुंह से होकर आपके गले, फिर वायुमार्ग और अंततः आपके फेफड़ों तक पहुंचती है। आपके फेफड़ों में बहुत सारे छोटे वायु मार्ग हैं जो हवा से ऑक्सीजन को आपके रक्त तक पहुंचाने में मदद करते हैं।
अस्थमा के लक्षण तब होते हैं जब आपके वायुमार्ग की परत सूज जाती है और उनके आसपास की मांसपेशियां कस जाती हैं। तब वायुमार्ग बलगम से भर जाता है, जिससे वहां से जाने वाली हवा की मात्रा कम हो सकती है।
इस सब से अस्थमा अटैक हो सकता है। अस्थम अटैक में खांसी और सीने में जकड़न होती है जो अस्थमा का एक विशिष्ट लक्षण है।
भारत में अस्थमा की स्थिति – How common is Asthma
ग्लोबल अस्थमा रिपोर्ट 2018 के अनुसार भारत के 130 करोड़ लोगों में से लगभग 6% बच्चों और 2% वयस्कों को अस्थमा है। अधिकांश लोगों के पास स्वास्थ्य बीमा नहीं है और अमीर और गरीब लोगों के लिए उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाओं में व्यापक अंतर है। इसके कारण अस्थमा अलगअलग आर्थिक वर्ग के लोगों को अलग-अलग तरह से प्रभावित कर रहा है।
भारत में बड़ी संख्या में लोग अभी भी अस्थमा को कलंक मानते हैं और इसलिए इस बीमारी को छिपाते हैं। कई लोगों का मानना है कि इनहेलर की लत लग जाती है। कई रोगी लक्षण होने पर उपचार करते हैं, या जब लक्षण असहनीय हो जाते हैं, और लक्षण खत्म होने पर इलाज रोक देते हैं। इन बाधाओं के बावजूद लगातार किये जा रहे शिक्षा कार्यक्रमों की वजह से ब्रोन्कियल अस्थमा के लिए इनहेलर का इस्तेमाल धीरे-धीरे बढ़ रहा है।
दमा (अस्थमा) के प्रकार – Types of Asthma
अस्थमा के कई प्रकार हैं। सबसे आम प्रकार ब्रोन्कियल अस्थमा है, जो फेफड़ों में मौजूद ब्रोंकाइ को प्रभावित करता है। अस्थमा के अतिरिक्त रूपों में “चाइल्डहुड अस्थमा” (बचपन में शुरू होने वाला) और “एडल्ट-ऑनसेट अस्थमा” (वयस्कों में शुरू होने वाला) शामिल हैं। एडल्ट-ऑनसेट अस्थमा में लक्षण कम से कम 20 वर्ष की आयु तक नहीं होते हैं।
अन्य विशिष्ट प्रकार के अस्थमा इस प्रकार हैं –
एक्सरसाइज-इंड्यूस्ड ब्रोन्कोकंस्ट्रिक्शन (ईआईबी)
एस्पिरिन इंड्यूस्ड अस्थमा
नोक्टर्नल अस्थमा
कफ-वैरिएंट अस्थमा (सीवीए)
एलर्जिक अस्थमा
नॉनएलर्जिक अस्थमा
ऑक्यूपेशनल अस्थमा
दमा (अस्थमा) के लक्षण – Asthma Symptoms
अस्थमा का सबसे आम लक्षण है सांस लेते समय घरघराहट होना या सींटी जैसी आवाज़ आना।
दमा के अन्य लक्षणों में शामिल हैं –
सांस फूलना
बात करने में कठिनाई
चिंता या घबराहट
थकान
खांसी आना – विशेष रूप से रात में, हंसते हुए या व्यायाम के दौरान
सीने में जकड़न
अस्थमा से पीड़ित हर कोई इन विशेष लक्षणों का अनुभव नहीं करता है। आपको कौन से लक्षण होंगे वह इस पर निर्भर करेगा कि आपको किस प्रकार का अस्थमा है।
यदि आपको लगता है कि आपके लक्षण दमा का संकेत हैं तो अपने डॉक्टर से तुरंत परामर्श लें। ऐसा जरूरी नहीं है कि अस्थमा का पहला संकेत अस्थमा का दौरा ही हो।
अस्थमा (दमा) के कारण – Asthma Causes
शोधकर्ताओं का मानना है कि अस्थमा के लिए सिर्फ कोई एक कारण जिम्मेदार नहीं है, बल्कि यह विभिन्न कारकों के मेल से होती है। इन कारकों में शामिल हैं –
आनुवंशिकी – यदि माता-पिता या भाई-बहन में से किसी को अस्थमा है, तो आपको इसके होने की अधिक आशंका है।
वायरल संक्रमण का इतिहास – बचपन में गंभीर वायरल संक्रमण वाले लोगों में दमा विकसित होने की अधिक आशंका होती है।
बचपन में इम्यूनिटी कम बनना – एक थ्योरी है कि जब बच्चे अपने शुरुआती महीनों और वर्षों में बैक्टीरिया के संपर्क में बहुत कम आते हैं, तो उनकी इम्यूनिटी अस्थमा और अन्य एर्जी से जुड़ी बीमारियों से लड़ने के लिए उतनी मजबूत नहीं बन पाती है।
दमा (अस्थमा) से बचाव – Prevention of Asthma
क्योंकि शोधकर्ताओं ने अभी तक अस्थमा के सटीक कारण की पहचान नहीं की है, इसलिए यह जानना चुनौतीपूर्ण है कि भड़काऊ स्थिति को कैसे रोका जाए।
हालाँकि, अस्थमा के हमलों को रोकने के बारे में अधिक जानकारी ज्ञात है। इन रणनीतियों में शामिल हैं –
एलर्जी शॉट्स लेना। एलर्जेन इम्यूनोथेरेपी एक प्रकार का उपचार है जो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बदलने में मदद कर सकता है। नियमित शॉट्स के साथ, आपका शरीर आपके द्वारा सामना किए जाने वाले किसी भी ट्रिगर के प्रति कम संवेदनशील हो सकता है।
निवारक दवा लेना। आपका डॉक्टर आपको दैनिक आधार पर दवा लेने के लिए लिख सकता है। इस दवा का उपयोग किसी आपातकालीन स्थिति में आपके द्वारा उपयोग किए जाने के अलावा किया जा सकता है।
आपका डॉक्टर आपको अस्थमा एक्शन प्लान लगाने में मदद कर सकता है ताकि आप जान सकें कि कौन से उपचार का उपयोग करना है और कब करना है।
ट्रिगर से बचना। रसायन, गंध, या उत्पादों से स्पष्ट स्टीयर अतीत में साँस लेने में समस्या का कारण बना।
एलर्जी के संपर्क को कम करना। यदि आपने एलर्जी की पहचान की है, जैसे कि धूल या मोल्ड, जो अस्थमा के दौरे को ट्रिगर करता है, तो उन्हें सबसे अच्छा होने से बचें।
दमा (अस्थमा) का परीक्षण – Diagnosis of Asthma
अस्थमा की जांच के लिए शारीरिक परिक्षण, फेफड़ों के कार्य का पता लगाने के लिए टेस्ट, और कई अन्य टेस्ट किये जाते हैं हैं जैसे एलर्जी टेस्ट और कई तरह के इमेजिंग टेस्ट।
इनके बारे में विस्तार से आगे बताया गया है –
शारीरिक परिक्षण
अन्य संभावित स्तिथियां जैसे कि श्वशन संक्रमण या सीओपीडी आदि, इनपर रोकथाम बनाए रखने के लिए, डॉक्टर आपकी शारीरिक जांच कर सकते हैं। इस परिक्षण में डॉक्टर आपसे आपके रोग के संकेत और लक्षणों के बारे में और अन्य स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के बारे में पूछेंगे।
फेंफड़ों के कार्य की जांच करने के लिए टेस्ट
आपको फेफड़ों की कार्यक्षमता को मापने के लिए भी टेस्ट देना पड़ सकता है, ताकि ये बात निर्धारित की जा सके कि जब आप सांस लेते हैं तो कितनी वायु फेफड़ों के अंदर प्रवाहित होती है। इसमें ये टेस्ट शामिल हो सकते हैं:
स्पायरोमेट्री (Spirometry) – इसमें गहरी सांस लेने के दौरान देखा जाता है कि आप कितनी तेजी से सांस ले सकते हैं और छोड़ सकते हैं। इस टेस्ट से ब्रोंकियल ट्यूबों के संकुचन का अनुमान लगाया जाता है।
पीक फ्लो (Peak flow) – पीक फ्लो एक सामान्य मीटर होता है जो जांच करता है, कि कितनी तेजी से आप सांस ले सकते हैं। सामान्य स्तर से कम पीक-फ्लो रीडिंग्स बताती हैं कि आपके फेफड़े ठीक से काम नहीं कर रहे हैं, जिससे अस्थमा और गंभीर रूप से बिगड़ सकता है। डॉक्टर आपको निर्देशित कर सकते हैं, कि लो पीक फ्लो (low peak flow) रीडिंग को कैसे सामान्य स्तर पर लाया जा सकता है।
फेंफड़ों के कार्य का परिक्षण (Lung function tests) – यह टेस्ट अक्सर ब्रोकॉडायलेटर की दवाएं लेने से पहले और बाद में किया जाता है। एल्ब्यूटेरल और वायुमार्ग खोलने के लिए इन दवाओं का प्रयोग किया जाता है। अगर ब्रोकॉडायलेटर लेने से फेफड़ों के कार्यों में सुधार होता है, तो आपको अस्थमा होने की संभावना हो सकती है।
अतिरिक्त टेस्ट
अस्थमा के निदान के लिए किए गए अन्य टेस्ट जिनमें शामिल हैं :-
इमेजिंग टेस्ट – फेफड़ों या साइनस का एक हाई-रिजोलूशन सीटी स्कैन और छाती का एक्स-रे से किसी भी प्रकार की संरचनात्मक असामान्यताओं या रोगों की पहचान की जा सकती है। ये रोग (जैसे संक्रमण आदि), सांस लेने में कठिनाईयां पैदा कर देते हैं और समस्याओं को बढ़ा देते हैं।
एलर्जी टेस्टिंग (Allergy testing) – एलर्जी टेस्टिंग में खून की जांच और त्वचा की जांच आदि शामिल होती है। इस टेस्ट की मदद से एलर्जी की पहचान की जाती है, जैसे पालतू जानवरों से एलर्जी, धूल, मोल्ड या पोलन आदि से होने वाली एलर्जी की जांच करना। अगर आवश्यक हो तो एलर्जी के कारण की पहचान की जा सकती है, जो “एलर्जन इम्यूनोथेरेपी” की मदद लेने की सलाह दे सकती है।
स्प्यूटम ईयोसिनोफिल्स (Sputum eosinophils) – इस टेस्ट में मरीज की खांसी के दौरान निकलने वाली लार और थूक (स्प्यूटम) के मिश्रम में कुछ सफेत रक्त कोशिकाओं (ईयोसिनोफिल्स) की जांच की जाती है। जब अस्थमा के लक्षण विकसित होने लगते हैं, तो उस दौरान सफेद रक्त कोशिकाएं मरीज के बलगम या थूक में मौजूद होती हैं, और उसमें ये गुलाबी रंग की डाई (ईयोसिन) के समान दिखती हैं।
मेथाकोलिन चैलेंज (Methacholine challenge) – मेथाकोलिन को अस्थमा के मुख्य कारणों में गिना जाता है, यह नाक के वायुमार्ग को हल्के से कस के संकुचित कर देता है। अगर आपका शरीर मेथाकोलीन पर प्रतिक्रिया देता है, तो आपको अस्थमा होने की संभावना हो सकती है। अगर आपके फेफड़ों का शुरूआती टेस्ट सामान्य रहा हो तब भी यह टेस्ट लिया जा सकता है।
नाइट्रिक ऑक्साइड टेस्ट (Nitric oxide test) – हालांकि यह टेस्ट हर जगह पर उपलब्ध नहीं होता, इसका काम सांस में नाइट्रिक ऑक्साइड गैस की मात्रा को मापने का होता है। आपके नाइट्रिक ऑक्साइड का स्तर सामान्य से ज्यादा होने पर आपकी नाक के वायुमार्ग संक्रमित हो सकते हैं, जो कि अस्थमा के संकेत होते हैं।
व्यायाम और अस्थमा युक्त जुकाम के लिए प्रोवोकेटिव टेस्ट (Provocative testing for exercise and cold-induced asthma) – इस टेस्ट में, कोई फुर्तिली शारीरिक गतिविधी करने से पहले और बाद में डॉक्टर आपके वायुमार्गों की रुकावटों को मापकर उनकी जांच करते हैं। इसके अलावा ठंडी हवा में सांस लेने से पहले और बाद में भी डॉक्टर अवरुद्ध वायुमार्गों की जांच कर सकते हैं।
क्या अस्थमा पूरी तरह ठीक हो सकता है? – Can Asthma be cured permanently
अस्थमा का कोई परमानेंट इलाज नहीं है। लेकिन इसके उपचार के लिए अब कई बेहद असरदार विकल्प मौजूद हैं, यहाँ तक कि कुछ डॉक्टरों का कहना है कि आज अस्थमा का उपचार इतना प्रभावी है कि बहुत मरीज अपने लक्षणों को पूरी तरह कंट्रोल में रख सकते हैं।
दमा (अस्थमा) के नुकसान – Asthma Complications
अस्थमा के नुकसान में निम्न शामिल हैं –
अस्थमा के लक्षण गंभीर होने पर आपातकालीन स्थिति उत्पन्न होना और अस्पताल मं भर्ती होने की जरूरत पड़ना।
अस्थमा को कंट्रोल करने के लिए लंबे समय तक ली जाने वाली दवाओं के दुष्प्रभाव होना।
अल्प कालिक और दीर्घ कालिक अस्थमा के उपचार में काफी अंतर होता है, दवाएं ठीक से ना ली जाएं तो भी जटिलताएं उतपन्न हो जाती हैं।
ऐसे लक्षण जो रोजमर्रा के काम, नींद आदि में बाधा डालते हैं।
अस्थमा बढ़ जाने पर स्कूल या काम से बार-बार छुट्टी लेने की आवश्यकता।
ब्रोकियल ट्यूबों का स्थायी रूप से पतला हो जाना जो सांस लेने में समस्या पैदा करता है।